एक तरफ देहरादून में जगह - जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के होर्डिंग लगे हुए है जिसमे साफ साफ लिखा है कि महामारी अभी टली नहीं है वही दूसरी और इतनी बड़ी लापरवाही !

 देहरादून के टेस्टिंग स्थल पर कतार में खड़े लोगो के लिए उत्तराखंड सरकार ने सामाजिक दूरी को 2 गज से घटाकर शायद कुछ इंचों की दूरी में तब्दील कर दिया है या टेस्ट कर रहे लैब के कर्मचारियों ने ऐसा मान लिया है? 

Passengers are being tested at dehradun with no physical distance. Is this not a responsibility of the medical workers to make the people follow social distance?


उत्तराखंड - देहरादून में प्रवेश कर रहे बाहरी वाहनों में यात्रा करने वाले सभी यात्रियों की कोरोना जांच हो रही है। जांच के उपरांत दी जाने वाली पर्ची पर यात्री के संक्रमित होने या ना होने यानी कोरोना पॉजिटिव या नेगेटिव की होने के बारे में लिखा होता है जो कि 72 घण्टे के लिए वैध मानी जाती है। यदि कोई यात्री बस से उतरकर बिना जांच कराए जाने की कोशिश करता है तो उसको बाहरी मार्ग पर खड़े पुलिसकर्मियों द्वारा रोक और लिया जााता है और बिना जांच के नहीं जाने दिया जाता है। इतना सख्त होना तो ठीक है लेकिन जांच कराने के लिए कतार में खड़े लोगो को सामाजिक दूरी का पालन करना है या नही ये शायद नही बताया जा रहा है? या फिर प्रशासन ने या टेस्ट कर रहे कर्मचारियों ने इस दूरी को घटाकर कम कर दिया ? लेकिन इतनी कम दूरी से खड़े होना संक्रमण के प्रसार को चुनौती देना है। क्योंकि जिस तरह से इस बीमारी का एक दूसरे में संक्रमण होता है उससे ऐसा प्रतीत होता है कि इस तरह से एक दूसरे से सटकर खड़े होना किसी दूसरे को भी इस बीमारी से ग्रस्त कर सकता है जिसका सीधा मतलब है की किसी की लापरवाही से एक कोरोना नेगेटिव व्यक्ति भी पॉजिटिव हो सकता है। इसलिए टेस्ट स्थल पर मौजूद कर्मचारियों द्वारा लाइन में खड़े लोगों से सामाजिक दूरी का पालन कराना चाहिए।

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