कैसे किया जा सकता है पेट्रोल की कीमत को कम, जानने के लिए पढ़े पूरी ख़बर

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एक तरफ पेट्रोल व रसोई गैस की बढ़ती कीमतों ने पूरे देश में हा हा कार मचा रखा है वही दूसरी और रेल किराया वृद्धि के साथ साथ रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म टिकेट कीमत में भी कही तीन गुनी तो कही पांच गुनी बढ़ोतरी कर दी गई है।

वैसे तो पेट्रोल की कीमत में छोटा मोटा उछाल आता रहा है लेकिन जिस तरह से अब कुछ जगहों पर पेट्रोल 100रु लीटर हो गया है उससे लगता है की आने वाला समय बहुत मुश्किल होने वाला है। इस महंगाई में राज्य सरकार व केंद्र सरकार का भी बहुत बड़ा हाथ हो सकता है क्योंकि जिस तरह से सरकार कुछ वस्तुओं को जी एस टी के दायरे से बाहर रखकर उनपर पर एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर उत्पाद शुल्क (excise duty) लगाती है और वही राज्य सरकार मूल्य वर्धित कर (VAT) लगाती है जिससे पेट्रोल की कीमत ओर ज्यादा बढ़ जाती है। राज्य सरकारों को सोचना चाहिए कि वें अपने राज्य में वैट को कम करें वही केन्द्र सरकार भी पेट्रोल में excise duty  की प्रतिशतता को कम करें ताकि पेट्रोल की बढ़ती कीमतों में कमी आ सकें। 

सोने पर सुहागा

यदि पेट्रोल को GST के दायरे में रखा जाए तो यह देश के लोगो के लिए सोने पे सुहागा होगा। इससे अलग अलग रूप में लगने वाले कर से छुटकारा मिलने के साथ साथ पेट्रोल की कीमत में कमी आएगी और पेट्रोल का मूल्य घटकर आधा हो सकता है। ये निर्णय अब GST council कर सकती है जिसमे राज्यों के प्रतिनिधि भी शामिल है। इन दिनों नेता भले ही इस पर बयान दे रहें हो लेकिन वें ज्यादा से ज्यादा इस मुद्दे को कॉउन्सिल की बैठक तक ले जा सकते है।

रेल किराया व प्लेटफार्म टिकेट मूल्य वृद्धि बनी एक और मुसीबत

दिल्ली व मुम्बई में प्लेटफार्म टिकेट मूल्य वृद्धि 3 गुनी व पांच गुनी कर दी गई है वही लोकल रेल किराया भी बढ़ा दिया गया है कुछ लोगो ने इसे केंद्र सरकार की मनमानी तो कुछ ने तानाशाही कहते हुए टिप्पणी की है। लेकिन उच्च अधिकारियों द्वारा जो स्पष्टिकरण दिया गया है वह थोड़ा  अजीबोगरीब है उनका कहना है कि प्लेटफार्म टिकेट की कीमत बढ़ने से रेल स्टेशन पर भीड़ कम होगी और रेल किराया ज्यादा होने से रेल में भी भीड़ कम होगी ताकि pandemic guidelines  को follow किया जा सके।  

यह कथन अजीबोगरीब क्यों है इसको समझतें है।

Pandemic guidelines को follow करना सिर्फ आम जनता के लिए जरूरी है? जो नेता, मंत्री जगह जगह जाकर चुनावी रैलियां कर रहे है क्या उनके लिए यह दिशा निर्देश जरूरी नहीं है इन रैलियों में शामिल होने वाले वही लोग हो सकते है जो उस रेल में भी बैठते होंगे तो क्या कोरोना सिर्फ रेल में होगा इन चुनावी रैलियों में नहीं? और इन बढ़ी कीमतों को कोरोना से बचाव का नाम देना कितना वाजिब है ये समझना शायद थोड़ा मुश्किल हो सकता है।

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