Shabnam case पहली बार किसी महिला का फाँसी पर लटकना तय, दया याचिका ख़ारिज

 स्वतंत्रता यानी 1947 के बाद पहली बार भारत मे किसी महिला को फाँसी होने जा रही है इससे पहले आज तक ऐसा समय नहीं आया जब कभी किसी महिला को फाँसी दी गई हो। भारत मे एक मात्र महिला फाँसीघर मथुरा जेल में है जहाँ इस महिला को फाँसी दी जाएगी।


Image source - navbharattimes


आपको बता दें अमरोहा के बावनखेड़ी गांव की शबनम को फाँसी होने जा रही है। शबनम 2008 से जेल में बंद है। इस गांव के लोगों के जहन में आज भी 13 साल पहले हुई घटना एक ख़ौफ़नाक याद की तरह है। इस अनहोनी के बाद से आज तक बावनखेड़ी गांव में किसी ने भी अपनी बेटी का नाम शबनम नही रखा।

कौन है शबनम? 

Shabnam case

शबनम पुत्री मास्टर शौकत बावनखेड़ी गांव की एक शिक्षा मित्र थी। शबनम ने एम ए की पढ़ाई की थी। शबनम को गांव के ही एक आठवीं पढ़े सलीम नाम के युवक से मोहब्बत हो गई थी इस बात का पता जब शबनम के पिता को चला तो उन्होंने इसका विरोध किया क्योंकि उन्होंने अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा के साथ साथ बड़े प्यार से पाला था इस तरह से शबनम का सलीम से मिलना उन्हें अच्छा नही लगा। इसी लिए मास्टर शौकत ने शबनम के बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी थी।

क्या कारण है शबनम की फांसी का?

14/15 अप्रैल 2008 की रात को एक ऐसी अनहोनी हुई जिसके बारे में सोचने से ही रूह कांप उठती है। उस दिन इश्क़ की एक ऐसी खूनी दास्तां लिखी गई जिसने सबको अंदर से झकझोर कर रख दिया।

इस दिन शबनम ने पूरे परिवार के खाने में नींद की गोलियां मिला दी और देर रात अपने प्रेमी सलीम से मिलने गई। सलीम ने शबनम से कहा कि अगर वो अपने पूरे परिवार का खून कर दे तो फिर उन्हें रोकने वाला कोई नही होगा। शबनम के सिर पर इश्क़ का भूत इस कदर सवार था कि उसी रात वह सलीम के साथ वापिस अपने घर आई ओर अपने परिवार के सात सदस्यों को प्रेमी संग मिलकर कुल्हाड़ी से काटकर मौत की नींद सुला दिया था। और चतुराई दिखाते हुए उसने जोर जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया और पड़ोसियों को बताया कि किसी ने उसके परिवार का कत्ल कर दिया।

पुलिस ने कैसे पता लगाया खूनी कौन?

पुलिस ने इस घटना की जांच करते हुए शबनम का टेस्ट कराया तो पता चला कि वह 2 माह के गर्भ से है इससे पुलिस को शबनम पर शक हुआ तब धीरे धीरे सारी बाते सामने आई और शबनम ने अपना अपराध स्वीकार किया। इस कुकृत्य के लिए न्यायालय ने शबनम को फाँसी की सजा सुनाई है। शबनम के कुकृत्य को देखते हुए राष्ट्रपति ने भी दया याचिका को खारिज कर दिया है जिसका मतलब ये है कि शबनम का फाँसी पर लटकना तय है।

निर्भया कांड के दोषियों को फाँसी देने वाला जल्लाद पवन ही शबनम को मथुरा जेल के फाँसीघर में फांसी पर लटकाएगा।



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