kisan andolan में reporting कर रहे पत्रकारों की गिरफ्तारी, press freedom के लिए खतरा

Image credit - the hansa india 

लोकतंत्र मतलब आप कुछ भी कर सकते है बशर्ते देश के अहित या किसी को आहत करने वाला न हो। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है जहाँ सबको अपनी बात कहने का पूर्ण अधिकार है लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए अभिव्यक्ति की आजादी पर कड़ा प्रहार किया जा रहा है। जिस तरह से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को हिलाकर गिराने की कोशिश की जा रही है उससे तो यही लगता है की आने वाला समय बहुत मुश्किल होने वाला है। स्वतन्त्र पत्रकारिता करने वाले पत्रकार हमेशा शासन-प्रशासन के निशाने पर रहते है क्योकि ये वो पत्रकार होते है जो जमीनी हकीकत को बयां करते है। ओर शायद उनका यही अंदाज कुछ लोगो को पसंद नही आता है और उनके ऊपर कोई भी आरोप लगाकर जेल में डाल दिया जाता है। कहा जाता है कि यदि सरकार से मीड़िया सवाल नही करेगा तो सरकारें तानाशाही पर उतारू हो जाएगी लेकिन सरकार से सवाल करना आज के समय मे कितना मुश्किल हो गया है इस बता का अंदाजा पत्रकारों पर ताबड़तोड़ एफआईआर से लगाया जा सकता है।

क्या है स्वतंत्र पत्रकारिता?

इसका संबंध किसी विशेष संस्थान से नही होता है इसलिए स्वतन्त्र पत्रकार किसी भी मीडिया में अपनी बात को लिख सकते है। नई मीडिया के आने से पत्रकारिता में बहुत बड़ी व्रद्धि देखने को मिल रही है जो जनता की आवाज को मेनस्ट्रीम मीडिया से पहले लोगों तक पहुचाने का काम कर रही है।

पत्रकारों पर एफआईआर, प्रेस की आजादी पर प्रहार

पिछले दो महीने से ज्यादा से चल रहे kisan andolan के बीच ग्राउंड पर जाकर जो काम स्वतंत्र पत्रकारों ने किया है उसके लिए जितनी प्रशंसा की जाए कम है क्योंकि जिस तरह से मुख्य पक्ष मीडिया की कार्यशैली रही है उससे शायद जनता का विश्वास शोशल मीडिया की तरफ ज्यादा बढ़ा है। ऐसा इसलिए क्योंकि यही पत्रकार जमीनी हकीकत को पूरी सच्चाई के साथ दिखाते है और यही कारण है कि स्वतन्त्र पत्रकार प्रशासन के गले की फांस बन रहे है और कुछ भी आरोप लगाकर उन्हें जेल भेजा जा रहा है।                                                                दो दिन पहले स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया को पुलिस ने सरकारी काम मे बाधा पहुँचाने का आरोप लगाते हुए गिरफ्तार कर लिया और उनपर अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। लेकिन क्या वास्तव में कोई पत्रकार किसी सरकारी अधिकारी को काम करने से रोक सकता है वह एक पत्रकार है साहब और एक पत्रकार कानून का उलंघन करे शायद ही ऐसा हो?

इसके पीछे कही ये वजह तो नहीं?                        मनदीप लगातार किसान आंदोलन को कवर कर रहे थे और 26 जनवरी को हुई हिंसा व उसके बाद किसानों पर हुए पथराव को लेकर मनदीप ने फेसबुक लाइव आकर कुछ ऐसे खुलासे करने की कोशिश की थी जो शायद प्रशासन के गले से ना उतर रही हो? मनदीप ने बताया था कि कैसे स्थानीय बनकर आये भाजपा के लोगों ने पथराव किया और पुलिस उनको बैकअप दे रही थी। किसी पत्रकार पर मुकदमे का यह पहला मामला नहीं है इससे पहले भी ऐसे बहुत पत्रकार है जिन पर एफआईआर हुई और कुछ तो ऐसे है जो अभी तक जेल में है। जिस तरह से आये दिन पत्रकारों पर हमले हो रहे है उससे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहे जाने वाला मीड़िया जगत का अस्तित्व पतन की ओर तो अग्रसर नही है? क्योंकि पत्रकारों के लिए इस देश मे कोई सुरक्षा कानून नहीं है और यही हालत रहे तो समय दूर नही जब कोई भी पत्रकार बनना तो दूर इस बारे में सोचने से भी डरेगा।


Post a Comment

और नया पुराने