Kisan bill वापसी पर सरकार व किसानों के बीच जद्दोजहद जारी, भीम आर्मी ने सौंपा ज्ञापन

दो महीने से ज्यादा से चल रहे किसान आन्दोलन के समाप्त होने की कोई भी उम्मीद नजर नही आ रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि किसान नेताओं व सरकार के बीच पहले ही कितने दौर की वार्ता हुई जो बेनतीजा रही और उसके बाद जिस तरह से गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले की प्राचीर पर निशान साहिब का झंडा लगाया गया और हिंसा की गई उससे लगता नही की किसानों व सरकर के बीच अगले दौर की वार्ता जल्द होने वाली है। 
एक तरफ भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा की यदि सरकर की कोई मज़बूरी है तो बताये हम सरकार का सिर नही झुकने देंगे वही दूसरी तरफ तीनो बिल वापसी की मांग करते हुए इस आन्दोलन को अक्टूबर तक चलाने की बात कर रहे है वही सरकार का किसानो से कहना  है की यदि बिल में कोई कमी है तो बताइए विचार विमर्श कर उसमे संशोधन किया जायेगा लेकिन किसान है की बिल वापसी की जिद पर अड़े है।

6 फरवरी को चक्का जाम
किसानो द्वारा 6 फरवरी को चक्का जाम का ऐलान किया गया था जिसमे राकेश टिकैत द्वारा उत्तर प्रदेश व् उत्तराखंड में चक्का जाम न करने को गया था जो की एक सवाल खड़ा करता है की आखिर उत्तर प्रदेश व् उत्तराखंड को इससे मुक्त क्यों रखा गया? कही ऐसा तो नही की इन दोनों राज्यों में दिल्ली में बैठे किसानों को इस आन्दोलन में समर्थन कम मिल रहा हो ?



भीम आर्मी ने ए एस पी को सौंपा ज्ञापन
सहरानपुर - भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद के निवास से भीम आर्मी के कार्यकर्ता सरकार विरोधी नारें लगाते हुए कस्बा छुटमलपुर के ज्योति किरण पहुचें जहाँ उन्होंने पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में ए एस पी सय्यद अब्बास को ज्ञापन सौपां जिसमे सरकर को किसान विरोधी, किसानो को बर्बाद करने वाली सरकार व तीनों kisan bill तत्काल प्रभाव से वापिस लेने की मांग को उल्लेखित किया गया था लेकिन इस प्रक्रिया को एक संबोधन बैठक का रूप देते हुए भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने अपने अपने अंदाज में भारतीय जनता पार्टी पर जमकर निशाना साधा।

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