कोरोना वैक्सीन की मंजूरी को लेकर देश मे विवाद

 देश में कोरोना वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिलते ही विवाद खड़ा हो गया जिसमें राजनैतिक दल बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहें है वही वैक्सीन में सुअर की चर्बी मिली होने की बात से मुस्लिम संगठनों में इस वैक्सीन पर रोक लगाने की एक होड़ सी लग गई है।

कोवैक्सीन व कोविशील्ड नामक दो वैक्सीन को भारत मे इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है।

इन दवाइयों के बारे में थोड़ा जान लेते है



कोवैक्सिन

इस वैक्सीन को हैदराबाद की भारत बायोटेक ने नेशनल वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर icmr के सहयोग से तैयार किया है। इस वैक्सीन को स्वेदशी तकनीक से तैयार किया गया है इस वैक्सीन की एक डोज की कीमत 100 रुपये है जिसमे दो डोज जरूरी है वही इस वैक्सीन को पूरी तरह से सुरक्षित बताया गया है।

अब बात करते है कोविशिल्ड कि इस वैक्सीन को पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ने स्टेजेनिका व ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से तैयार किया है इस वैक्सीन को विदेशी तकनीक से लेकिन अच्छी बात यह है कि इसको भी भारत मे ही तैयार किया है वही बात करें डोज कीमत की तो इसकी पहली डोज 250 रुपये व दूसरी डोज 1000 रु तय की गई लेकिन इसको 70% तक सुरक्षित बताया गया है सुरक्षा ओर कीमत के नजरियेसे देखा जाए तो यह कोवैक्सिन से कम सुरक्षित है। ओर ज्यादा कीमत वाली है लेकिन दोनों ही वैक्सीन को मंजूरी मिल गई है और ट्रायल भी शुरू हो चुका है।

अब बात करते है विवाद की तो विपक्ष हमेशा से ही सत्ता पक्ष की हर बात नाराज रहता है तो इसको को तो नजरअंदाज ही कर दीजिए लेकिन जो जरूरी मुद्दा है वो है मुस्लिम संगठनों का वैक्सीन को लेकर फतवा जारी करना। 

अब से लगभग 200 साल पहले सितंबर 1798 एक बुक एन इन्क्वारी इनटू काऊ पॉर्क्स प्रकाशित हुई जिसको इंग्लैंड के डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने लिखा था इस बुक में एडवर्ड ने एक कुख्यात बीमारी चेचक के इलाज के बारे में बताया था और यह बीमारी ऐसी थी कि इससे लोग मर जाते थे और अंधे हो जाते थे और इस तरह से इस बुक से इंग्लैंड को मिला चेचक टिका। लेकिन यह काफी नही था क्योकि इसका विरोध इंग्लैंड की हर गलियों में देखने को मिलने लगा था क्योंकि लोगों को लगता था कि इस वैक्सीन में संक्रमित जानवर का विषाणु है जो कि सही नही है वही कुछ लोंगो का मानना था कि इस वैक्सीन से खून में जहर फैल जाएगा और लोग पागल हो जाएंगे इस वैक्सीन का इतना विरोध हुआ कि इंग्लैंड सरकार को इसके लिए एक वैक्सीन एक्ट लाना पड़ा। इस कानून के तहत यदि कोई टिका नही लगवाता था तो उसको सजा दी जाती थी लेकिन वही चेचक का टीका आज अपनी खुशी से सब लगवाते है किसी कोई कोई परेशानी नही है ऐसी कितनी ही दवाइयां है जो जानवरो के किसी न किसी अंग से मिलकर तैयार की जाती है तो फिर इस वैक्सीन का इतना विरोध क्यों?

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